मदद की दरकार में जिंदगी और मौत मयाने समझ रही बीमार लक्ष्मी यादव
मुख्यमंत्री के आदेश का भी नही हुआ पालन,
कांकेर:-किसी ने क्या खूब जिंदगी और मौत के मयाने समझते हुऐ कहा है कि तकलीफ तो जिंदगी है लोग तो मुफ्त में मौत को बदनाम करते है। एक ऐसी ही सच्ची घटना नगर के उदय नगर अटल आवास कालोनी सामने आई है जहां लक्ष्मी यादव नामक एक महिला छोटी सी दुघर्टना की ऐसी शिकार हुई कि पिछले 1 साल 49 दिनों से बिस्तर मेें पडी हुई जिंदगी और मौत के मयाने समझ रही है। लक्ष्मी यादव के पति मनोज यादव इस हालत पर जानकारी दें बताते है कि 08 सितबंर 2014 को अपनी पत्नी बच्चें के साथ परिवारिक आयोजन में शिरकत होने नगर के भंडारीपारा सायकल से जा रहे थे तभी बच्ची को गोंद में लेकर बैठी हुई लक्ष्मी यादव का अचानक संतुलन बिगड़ जाने से वो जमीन पर धडाम से गिर पडी और उसकी रीढ़ की हड्डी बुरी से टूटी गई जिसका ईलाज जिले से लेकर राजधानी के तीनों अस्तपालों करवाते-करवाते खुद उसकी कमर टूट गई और पत्नी को वापस घर लाने के सिवा कोई चारा नही बचा। मनोज यादव आगे बताते है कि उन्होंने अपनी पत्नी की ईलाज के जिला कलेक्टर.प्रभारी मंत्री सहित प्रदेश नब्ज जाने वाले संवदेनशील मुख्यमंत्री डॉ.रमनसिहं तक मदद की गुहार लगाई गई लेकिन मामला सिफर रहा है,हाँ मदद के नाम पर में इतना जरूर हुआ कि 28 जुलाई 2015 को पृ.क्रं./एफ/10-46/सी.एम.एस/2015 के माध्यम से स्वास्थ्य संचालक तथा जिला कलेक्टर को सूचित कर आवश्यक कार्यवाही करने को पत्र प्रेषित किया गया पंरतु आज दिनांक तक जिंदगी और मौत के मयाने समझ बिस्तर पर पडी लक्ष्मी को साल तक 10 हजार प्रतिमाह की खर्च से फिजोथैरेपी की जरूरत है जिससे वह फिर से अपने से चलने लायक हो सकती है। बिस्तर में पडी लक्ष्मी और मनोज यादव की मुसीबतें इतने में समाप्त नही होती आज उनके सामने ईलाज तो ईलाज दो जून रोटी की समास्या भी सामने आन पडी क्योंकि जिस तरह पीडिता कि हालत उस हालत में पति सप्ताह के 04 दिन रोटी की जुगत पर जाता है तब 09 साल की मासूम बेटी निशा अपनी माँ देखभाल करती और बेटी जब 03 दिन स्कूली जाती है तब पति उसकी देखभाल करता है ऐसे में पीडिता के मायके और ससुराल वालों से मिल रही थोडी सी मिल रही मदद से मुश्किलता में गुजर-बस चल रहा है लेकिन शासन प्रशासन सहित किसी भी समाज सेवी संगठन ने भी मदद के लिए हाथ आज तक उनके दरवाजे तक नही पहुंचे है। छोटे से हादसे में घायल हो बिस्तर पर एक साल अपंग बनी लक्ष्मी इशारों से बताती हुई कहती उसके पति बहुत अच्छे इंसान वे उसकी बहुत सेवा व ध्यान रखते उसे कोई गम नहीं बस दुख है तो इस बात कि उसकी इस बीमारी ने उसके परिवार की सारी खुशियों में एक ग्रहण सा लगा है जिसके चलते उनकी खुशी कहीं गायब सी हो गई है।
कांकेर:-किसी ने क्या खूब जिंदगी और मौत के मयाने समझते हुऐ कहा है कि तकलीफ तो जिंदगी है लोग तो मुफ्त में मौत को बदनाम करते है। एक ऐसी ही सच्ची घटना नगर के उदय नगर अटल आवास कालोनी सामने आई है जहां लक्ष्मी यादव नामक एक महिला छोटी सी दुघर्टना की ऐसी शिकार हुई कि पिछले 1 साल 49 दिनों से बिस्तर मेें पडी हुई जिंदगी और मौत के मयाने समझ रही है। लक्ष्मी यादव के पति मनोज यादव इस हालत पर जानकारी दें बताते है कि 08 सितबंर 2014 को अपनी पत्नी बच्चें के साथ परिवारिक आयोजन में शिरकत होने नगर के भंडारीपारा सायकल से जा रहे थे तभी बच्ची को गोंद में लेकर बैठी हुई लक्ष्मी यादव का अचानक संतुलन बिगड़ जाने से वो जमीन पर धडाम से गिर पडी और उसकी रीढ़ की हड्डी बुरी से टूटी गई जिसका ईलाज जिले से लेकर राजधानी के तीनों अस्तपालों करवाते-करवाते खुद उसकी कमर टूट गई और पत्नी को वापस घर लाने के सिवा कोई चारा नही बचा। मनोज यादव आगे बताते है कि उन्होंने अपनी पत्नी की ईलाज के जिला कलेक्टर.प्रभारी मंत्री सहित प्रदेश नब्ज जाने वाले संवदेनशील मुख्यमंत्री डॉ.रमनसिहं तक मदद की गुहार लगाई गई लेकिन मामला सिफर रहा है,हाँ मदद के नाम पर में इतना जरूर हुआ कि 28 जुलाई 2015 को पृ.क्रं./एफ/10-46/सी.एम.एस/2015 के माध्यम से स्वास्थ्य संचालक तथा जिला कलेक्टर को सूचित कर आवश्यक कार्यवाही करने को पत्र प्रेषित किया गया पंरतु आज दिनांक तक जिंदगी और मौत के मयाने समझ बिस्तर पर पडी लक्ष्मी को साल तक 10 हजार प्रतिमाह की खर्च से फिजोथैरेपी की जरूरत है जिससे वह फिर से अपने से चलने लायक हो सकती है। बिस्तर में पडी लक्ष्मी और मनोज यादव की मुसीबतें इतने में समाप्त नही होती आज उनके सामने ईलाज तो ईलाज दो जून रोटी की समास्या भी सामने आन पडी क्योंकि जिस तरह पीडिता कि हालत उस हालत में पति सप्ताह के 04 दिन रोटी की जुगत पर जाता है तब 09 साल की मासूम बेटी निशा अपनी माँ देखभाल करती और बेटी जब 03 दिन स्कूली जाती है तब पति उसकी देखभाल करता है ऐसे में पीडिता के मायके और ससुराल वालों से मिल रही थोडी सी मिल रही मदद से मुश्किलता में गुजर-बस चल रहा है लेकिन शासन प्रशासन सहित किसी भी समाज सेवी संगठन ने भी मदद के लिए हाथ आज तक उनके दरवाजे तक नही पहुंचे है। छोटे से हादसे में घायल हो बिस्तर पर एक साल अपंग बनी लक्ष्मी इशारों से बताती हुई कहती उसके पति बहुत अच्छे इंसान वे उसकी बहुत सेवा व ध्यान रखते उसे कोई गम नहीं बस दुख है तो इस बात कि उसकी इस बीमारी ने उसके परिवार की सारी खुशियों में एक ग्रहण सा लगा है जिसके चलते उनकी खुशी कहीं गायब सी हो गई है।
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