ग्राम अंजनी के दो ग्रामीणों ने मिलकर विज्ञान की तकनीक पर आधारित बाल्टी चूल्हा बनाया है जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जानकारों के अनुसार इसकी खासियत है कि इसमें ईधन की खपत काफी कम होती है। कहा जा रहा है कि लगातार बढ़ती इंधन की कीमतों को देखते हुए यह देशी अविष्कार लोगों के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। रविवार के दिन कांकेर साप्ताहिक बाजार में अस्पताल के सामने बाल्टी चूल्हा बिकने पहुंचा। इसे कांकेर जिले के ही ग्राम अंजनी के पुरुषोत्तम सलाम व श्रवण वट्टी ने बनाया है। बाल्टी में फिटिंग मिट्टी का बने चूल्हे को बिजली, सेल या बैटरी से चलाया जा सकता है। बाल्टी चूल्हा में डीवीडी मोटर, छोटा सा पंखा टिफिन बाक्स लगता है। बाल्टी चूल्हा में लकड़ी डाले जाने पर इसमें लगे पंखे के माध्यम से लकड़ी में आग की लपटे तेज गति से बढ़ती है। एक माह से दोनों ही कलाकार यह बाल्टी चूल्हा बना रहे है और अब तक 100 नग बाल्टी चूल्हा तैयार कर चुके हैं। अंजनी के साथ आसपास गांव में अच्छा प्रतिसाद मिलने पर दोनों युवक इसे शहर में बेचने पहुंचे।
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देशी चूल्हा बनाने वाले ग्रामीण। ग्राम अंजनी के पुरुषोत्तम व श्रवण का बनाया चूल्हा बिजली व बैटरी से चलता है, दोनों का दावा 60 फीसदी ईंधन की बचत
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दोनो रायपुर जाकर बाल्टी चूल्हे का प्रदर्शन करना चाहते हैं। दोनों कलाकार एकता महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से बाल्टी चूल्हा बना रहे हैं। इसमें 10 महिलाएं है। 10वीं तक पढ़े पुरुषोत्तम सलाम व श्रवण वट्टी ने कहा बाल्टी चूल्हा से भोजन बनाने सामान्य चूल्हे के मुकाबले 60 प्रतिशत इंधन की ही बचत होती है। सामान्य चूल्हे की तरह इसे फूंकने की आवश्यकता नहीं होती। इसमें 6 से 7 लोगों का भोजन आराम से बनकर तैयार हो जाता है और भोजन के साथ सब्जी व चाय भी बना सकते हैं। दोनो युवक दोस्त हैं तथा उनका कहना है गांव में ईंधन की काफी समस्या है तथा दिन प्रतिदिन रसोई गैस की कीमतें भी बढ़ती जा रही है। इसी परेशानी को देखते उनके मन में इस तरह का चूल्हा तैयार करने का विचार आया। बाजार में फिलहाल वे इसे सात सौ रुपए प्रति नग की दर पर बेच रहे हैं। |
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